रविवार, 6 फ़रवरी 2011


एक नज़र में : गिरिजा शंकर जोशी

राजस्थान की शौर्य भरी गाथा का इतिहास अंवेरे
जोधपुर के वाशिंदे गिरिजा शंकर जोशी का जन्म
नागौर शहर में 5 जनवरी 1983 को हुआ।
इनकी माता का नाम मुन्नी देवी है।
इनके पिता श्री मोहन लाल जोशी
वर्तमान में तहसीलदार के पद पर काबिज़ है।
जोशी ने स्नात्तकोत्तर हिन्दी व बी.एड. की शिक्षा प्राप्त की है।

"What though the field be lost,
All is not lost,
To hope for the best."

इस मन्त्र पर अमल करने वाले जोशी की एक रचना आपके लिए-



आहिस्ता - आहिस्ता

गुजरती जा रही यूं उम्र आहिस्ता - आहिस्ता
जिन्दगी पूछ्ती है हाल आहिस्ता - आहिस्ता

न जाने किस गुनाह की हमें यह मिल रही सज़ा
सिसकते है यूं ही हर रात आहिस्ता - आहिस्ता

नहीं हम जानते क्या है किस्मत की मजबूरी
बदलता मौसम -ए-मिज़ाज आहिस्ता - आहिस्ता

मेरे अश्कों को देखने हैं मंज़र अभी बाकि
खुदा भी ले रहा हिसाब आहिस्ता - आहिस्ता

मायूस होकर एक दिन पूछा जमाने से
कयामत यूं आएगी क्या आहिस्ता - आहिस्ता

हारकर बांध ले पग जो ऐसा न ’राही’ मैं
चलना है तो चलना है आहिस्ता - आहिस्ता

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-गिरिजा शंकर जोशी "राही"
मुनि महाराज मन्दिर के पीछे,
मानसागर, महामन्दिर,
जोधपुर-राजस्थान
मो.नं. 9214834911
प्रस्तुति- राज बिजारणियां
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रविवार, 22 नवंबर 2009



राम-राम सा!